इक अँधेरा शहर में है

इक अँधेरा शहर में है

इक अँधेरा शहर में है दूर तक छाया हुआ
इसलिए हर आदमी मिलता है घबराया हुआ

हो गया जो देवता बनकर बहुत मगरूर, वो–
एक पत्थर था जमाने भर का ठुकराया हुआ

आइये कुछ शेर लिक्खें अब अँधेरों के खिलाफ
आज है सूरज कलम के पास कुछ आया हुआ

कह रहा है दर्द की कोई कहानी आज फिर
आँसू जैसा इक मुसाफिर आँख में आया हुआ

छीन ली उस ख्वाब ने ही रोशनी आँखों की ‘नाज’
जो उजालों के लिए था आँख में आया हुआ


Image : Conscience, Judas
Image Source : WikiArt
Artist : Nikolai Ge
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