इस चमन पर आप का उपकार है

इस चमन पर आप का उपकार है

इस चमन पर आपका उपकार है
कब हमें, इस बात से इनकार है

ठूँठ ही केवल अकड़ दिखला रहे
है नमित वह शाख जो, फलदार है

सनसनाते इस पवन को जान लो
तेज होती, धूप को, ललकार है

बाग का हर पुष्प पुलकित है मगर
क्यों उदासी से भरा, कचनार है

नाव हूँ, तू दे मुझे इच्छित दिशा
तेरे हाथों में मेरी पतवार है

चाँद क्या निकला गगन को चीरकर
लोग चिल्लाए कि ये, अवतार है।


Image : Nainen Veneessä
Image Source : WikiArt
Artist : Pekka Halonen
Image in Public Domain

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