इतना हसीं कहाँ मेरा पहले नसीब था

इतना हसीं कहाँ मेरा पहले नसीब था

इतना हसीं कहाँ मेरा पहले नसीब था
तुमसे मिला नहीं था तो कितना गरीब था

मेरा जो हो के भी कभी मेरा नहीं हुआ
कोई नहीं वो और था मेरा हबीब था

देखा नहीं नजर उठा के भी कभी उसे
फिर भी वो जल रहा था वो मेरा रकीब था

बस इतनी शिकायत है जमाने से दोस्तो
घर जल रहा मेरा था समंदर करीब था

लौटा दिया फकीर को भी घर से खाली हाथ
पैसे भी रख के शख्स वो कितना गरीब था

ये धूप-छाँव और ये खुली-खुली हवा
जो छोड़कर गया है गाँव बदनसीब था।


Image : William Cameron Forbes
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Artist : Edward E. Simmons
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डी.एम. मिश्र द्वारा भी