जब भी देखूँ उनको

जब भी देखूँ उनको

जब भी देखूँ उनको, आँखों के लिए राहत है उनमें
पेड़ों पर आए हैं पत्ते फिर नई रंगत है उनमें

भेद सारा खोल देते हैं वो आँखों से निकल कर
आँसुओं को कम भी मत समझो, बड़ी ताकत है उनमें

बस हुआ ये है दिशा ही उनकी उल्टी हो गई है
नफरतों के पीछे वर्ना तो छुपी चाहत है उनमें

वे लहू के तो समर्थक हो नहीं सकते हैं हरगिज
आदमी हैं वे अगर थोड़ी-सी भी गैरत है उनमें

खुद उलझ कर रह गया हूँ उनके ही व्यक्तित्व में मैं
घाटियाँ हैं उनमें गहरी और कई पर्वत हैं उनमें

उनकी बातों पर भरोसा हम भी करना चाहते हैं
पर सियासतदां है वे और झूठ शत प्रतिशत है उनमें।


Image : A Man of No Account
Image Source : WikiArt
Artist : Robert Harris
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