जब मिले सच कोई नया भंते

जब मिले सच कोई नया भंते

जब मिले सच कोई नया भंते
भूल जाना मेरा कहा भंते

ज्ञान का तेल त्याग की बाती
अपना दीपक स्वयं जला भंते

दुनिया बदली तो प्रश्न भी बदले
कर नहीं पाए सामना भंते

होता है ज्ञान में नशा भंते
बुद्ध को होश था कहाँ भंते

आग लगनी थी , खून जमना था
तुमसे कैसे रहा गया भंते

जब कोई स्वर्ग नर्क है ही नहीं
काहे की पूजा-अर्चना भंते।


Image : Head of a Kirghiz. Sketch
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Artist : Vasily Perov
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देवेंद्र आर्य द्वारा भी