जब मोहब्बत का किसी शय पे असर हो जाए
- 1 April, 2022
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on tumblr
Share on linkedin
Share on whatsapp
https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-gazal-about-jab-mohabbat-ka-kisi-shay-pe-asar-ho-jaye-by-darvesh-bharti/
- 1 April, 2022
जब मोहब्बत का किसी शय पे असर हो जाए
जब मोहब्बत का किसी शय पे असर हो जाए
एक वीरान मकाँ बोलता घर हो जाए
मैं हूँ सूरज-मुखी तू मेरा है दिलबर सूरज
तू जिधर जाए मिरा रुख भी उधर हो जाए
रंज-ओ-गम ऐश-ओ-खुशी जिस के लिए एक ही हों
उम्र उस शख्स की शाहों-सी बसर हो जाए
जो भी दुख, दर्द, मुसीबत का पिए विष हँस कर
क्यूँ न सुकरात की सूरत वो अमर हो जाए
लौट आओ जो कभी राम की सूरत तुम तो
मन का सुनसान अवध दीप नगर हो जाए
खा के पत्थर भी जो मुस्कान बिखेरे हर-सू
बाग-ए-आलम का वो फलदार शजर हो जाए
हम ने जाना है यही आ के जहाँ में ‘दरवेश’
होना चाहे जो न हरगिज वो बशर हो जाए।
Image : Self portrait with a Sunflower
Image Source : WikiArt
Artist : Anthony van Dyck
Image in Public Domain