जिनके अंदर पोल रहे हैं

जिनके अंदर पोल रहे हैं

जिनके अंदर पोल रहे हैं
बनके वही तो ढोल रहे हैं

हद से ज्यादा बोल रहे हैं
सब्र वो मेरा तोल रहे हैं

मौन धरे हैं कहने वाले
बोलने वाले बोल रहे हैं

कुछ वो भी चुप-चुप से हैं अब
कुछ हम भी कम बोल रहे हैं

फिर कलमें तलवार बनी हैं
फिर सिंहासन डोल रहे हैं।


Image : Portrait of Emile Zola
Image Source : WikiArt
Artist : Edouard Manet
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