कब अनुकूल रहा मौसम

कब अनुकूल रहा मौसम

कब अनुकूल रहा मौसम
दिल टूटा न टूटे हम

इस दुनिया की रीत यही
धूप जियादा साया कम

मरहम बाँटने वाले लोग
माँग रहे हैं अब मरहम

कौन चमन को छोड़ चला
फूलों की हैं आँखें नम

डरते हैं परछाई से
नापते हैं मेरा दमखम

छूटा गया सो छूट गया
क्यूँ करता है इतना गम

बाग में रोई खूब ‘कुमार’
किरणों से मिलकर शबनम।


Image : Flock of sheep with shepherd in the snow
Image Source : WikiArt
Artist : Anton Mauve
Image in Public Domain