कल तलक था अब रहा नाता नहीं

कल तलक था अब रहा नाता नहीं

कल तलक था अब रहा नाता नहीं
अब कोई आता नहीं, जाता नहीं

भीड़ में था चाहता तन्हा रहूँ
अब अकेलापन मुझे भाता नहीं

देखता हूँ पथ किसी का आजकल
कौन है वह मैं समझ पाता नहीं

आता-जाता था लिए कितनी हँसी
अब तो गुमसुम-सा है मुस्काता नहीं

आऊँगा-आऊँगा इस दिन ले खुशी
वक्त है कहता रहा, आता नहीं।


Image : Andre Utter and His Dogs
Image Source : WikiArt
Artist : Suzanne Valadon
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रामदरश मिश्र द्वारा भी