पाँव जमीं पर रख देने से

पाँव जमीं पर रख देने से

पाँव जमीं पर रख देने से, घरती-पुत्र नहीं होता
चंदन को घसना पड़ता है, पौधा इत्र नहीं होता

दुनिया चाहे कुछ भी कर ले, कह ले अपनी मर्जी पर
छाती से चिपकी कलमों सा कोई मित्र नहीं होता

कन्या से कश्मीर सुहाना भारत की तस्वीरों में
इतना सुंदर गौरवशाली कोई चित्र नहीं होता

बहुत कठिन है गणित आज भी सृष्टि के उपहारों का
जीवन और मरण का कोई पक्का सूत्र नहीं होता

पूज रही अंतर्मन से जो दूब चढ़ाकर देवी को
औरों सा उनकी थाली में दौलत इत्र नहीं होता।


Image : Frühmesse
Image Source : WikiArt
Artist : Giovanni Segantini
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