खबर में रह, नई रफ्तार बन जा

खबर में रह, नई रफ्तार बन जा

खबर में रह, नई रफ्तार बन जा
निकल हुजरे से अब बाजार बन जा

पसीने की कमाई का मजा ले
कभी दो पल को तो खुद्दार बन जा

मुसलसल ये दुकाँ चलती रहेगी,
कभी टोपी कभी जुन्नार बन जा

तू अपना मताबा भी जान लेगा
किसी के वास्ते बेकार बन जा

यहाँ किसको समझ है शायर की
अगर बिकना है तो अखबार बन जा।


Image: October
Image Source: Wikimedia Commons
Artist: Karoly Ferenczy
Image in Public Domain