खड़े तैयार हैं ‘बगुले’ सभी नदियों, फसीलों पर

खड़े तैयार हैं ‘बगुले’ सभी नदियों, फसीलों पर

खड़े तैयार हैं ‘बगुले’ सभी नदियों, फसीलों पर
चुनेंगे देश द्रोही ये तो अब तेरे इशारों पर

पहाड़ों का भी अपनापन नहीं मंजूर अब जिनको
जलाएँगे हमें अब तो वो सूरज के शरारों पर

निरंकुश लोकसत्ता हो रही कसना जरूरी है
लगानी ही पड़ेंगी बंदिशें अब इख्तियारों पर

हुकूमत, मीडिया, मुंसिफ, ये फौजें ये पुलिस अपनी
अरे शासन को देखा है कहीं झुकते दलीलों पर

ये भामाशाह अपने माँगते बलिदान की कीमत
गरीबी ये भगायेंगे ‘शलभ’ चढ़ कर दिनारों पर।

भोले बच्चे को दिखाया चाँद, पर उसको ‘शलभ’
पेंसिलें, रबड़ें, इरेजर, केडबरी अच्छी लगी।


Image : The old beggar
Image Source : WikiArt
Artist : Fyodor Bronnikov
Image in Public Domain