खेत खाए गधे कुलाहों के

खेत खाए गधे कुलाहों के

खेत खाए गधे कुलाहों के
कान पकड़े गए जुलाहों के

जब चले तीनर उन निगाहों के
मर गए सब वजीर शाहें के

उनकी बाहें की गिरवी हैं
हम सहारे हैं जिनकी बाहों के

मेरी दुनिया है कितनी छोटी सी
वो हैं राही तवील राहों के

घाट दरिया नदी नहीं मल्लाहों के
पास कश्ती नहीं मल्लाहों के

‘विप्लवी’ खुश हैं चढ़ावा पाकर
वो हैं जो देवता गुनाहों के।


Image : The Squatters
Image Source : WikiArt
Artist : George Caleb Bingham
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बी.आर. विप्लवी द्वारा भी