लम्हा-लम्हा कुछ न कुछ खोने का दुख

लम्हा-लम्हा कुछ न कुछ खोने का दुख

लम्हा-लम्हा कुछ न कुछ खोने का दुख
उम्रभर बेफायदा रोने का दुख

आपने देखी हैं बस ऊँचाइयाँ
आप क्या जाने दलित होने का दुख

हम गरीबों की यही है ज़िंदगी
जागने की फिक्र और सोने का दुख

या दलित जाने या जाने इक नदी
शहरभर की गंदगी ढोने का दुख

जिसकी कोई आबरू है ही नहीं
क्या उसे बेआबरू होने का दुख।


Image : In the Heat (The Pigs)
Image Source : WikiArt
Artist : Paul Gauguin
Image in Public Domain