लुटा कर हर ख़ुशी अपनी तू जिसका साथ पाए है
- 1 April, 2016
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on tumblr
Share on linkedin
Share on whatsapp
https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-gazal-about-luta-kar-har-khushi-apani-tu-jiska-sath-pae-hai-by-b-r-viplavi/
- 1 April, 2016
लुटा कर हर ख़ुशी अपनी तू जिसका साथ पाए है
लुटा कर हर ख़ुशी अपनी तू जिसका साथ पाए है
कहाँ दौलत ये हरजाई किसी के साथ जाए है
दहेजों के लिए जब लौटकर बारात जाए है
तो सारे शहर में इक बाप की औक़ात जाए है
ज़रा अपनी तो सोचो ऐ बड़ी औकात वालो तुम
मेरा क्या ख़ाके-पा1 हूँ कब मेरी औकात जाए है
यहाँ ख़ूबी-ख़राबी की कसौटी कुछ अलग ही है
यहाँ तो आदमी से पहले उसकी ‘ज़ात’ जाए है
मुझे तुम देवता कहकर न इतना सर चढ़ाओ भी
ख़ुदा बनने में मेरी बंदगी की बात जाए है
ग़मो का खेल है दुनिया खुशी तो ‘विप्लवी’ लुक-छिप
किसी का हाथ छोड़े है किसी के साथ जाए है
1. पाँव की धूल
Original Image: Interior Woman at the Window
Image Source: WikiArt
Artist: Gustave Caillebotte
Image in Public Domain
This is a Modified version of the Original Artwork