मैं ‘अशोक’ हूँ मैं ‘मिजाज’ भी

मैं ‘अशोक’ हूँ मैं ‘मिजाज’ भी

मैं ‘अशोक’ हूँ मैं ‘मिजाज’ भी
मैं इकाई हूँ, मैं समाज भी

कहीं सख्त हूँ कहीं नर्म भी
मैं उसूल भी हूँ, रिवाज भी

मैं ही आप अपना लिबास हूँ
मैं बटन भी हूँ, मैं ही काज भी

मैं हूँ अपने गम का जवाबदार
मैं ही अपने गम का इलाज भी

मैं फकीर हो के भी ताजवर
मेरे दिल पे है मेरा राज भी

है खयाल ही मेरी सल्तनत
मैं ही तख्त हूँ मैं ही ताज भी

मैं सभी हदों से गुजर गया
तुझे इंतजार है आज भी।


Image: Peasant with a bridle
Image Source: WikiArt
Artist : Ivan Kramskoy
Image in Public Domain

अशोक मिजाज द्वारा भी