मत गँवा वक्त सिर्फ रोने में

मत गँवा वक्त सिर्फ रोने में

मत गँवा वक्त सिर्फ रोने में
लग जा ख्वाबों को फिर सँजोने में

एक दुख के सिवा मिला ही क्या
मरते रिश्तों को यूँ ही ढोने में

जख्म नासूर बनता जाता है
अश्क से रोज-रोज धोने में

डूबना लाजिमी है उसका भी
जो लगा है तुझे डुबोने में

हर तरफ से निराश है तो भी
मत यकीं कर तिलस्म-टोने में

जो मिला ही नहीं तुझे कविता
डर भला क्या है उसको खोने में।


Image : The Sonata
Image Source : WikiArt
Artist : Childe Hassam
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