मेरा शीशे का घर देखा

मेरा शीशे का घर देखा

मेरा शीशे का घर देखा
उन हाथों में पत्थर देखा

पानी पानी पानी पानी
ऐसा हमने मंजर देखा

नाम उसी का लेंगे हर पल
जिसमें अपना तेवर देखा

आँख न होगी गीली उसकी
उसका गीला बिस्तर देखा

प्रेम, सहजता और सच्चाई
इस शायर का जेवर देखा

पीठ पे खाया घाव जो ‘पंकज’
यार के हाथों खंजर देखा।


Image: Self-portrait
Image Source: Wikimedia Commons
Artist: Émile Friant
Image in Public Domain

पंकज कर्ण द्वारा भी