नींव कितनी भी ली बड़ी हमने

नींव कितनी भी ली बड़ी हमने

नींव कितनी भी ली बड़ी हमने
की तो दीवार ही खड़ी हमने

वक्त का जो मिजाज भी कह दे
अब लगा ली है वो घड़ी हमने

हम जहाँ रोज आके मिलते थे
जंग अक्सर वहीं लड़ी हमने

अब तो आने दे बादलों को भी
देख ली धूप भी कड़ी हमने

दर्श कुछ बातें ही तो कहनी थीं
फिर तो कह दीं बड़ी-बड़ी हमने।


Image : Study of walls
Image Source : WikiArt
Artist : Nicholas Roerich
Image in Public Domain

दिलीप दर्श द्वारा भी