पीड़ा की हर ओर पुकारें

पीड़ा की हर ओर पुकारें

पीड़ा की हर ओर पुकारें
कैसे गाते रहें मल्हारें

सभी प्रशंसा चाहें झूठी
किस किस की आरती उतारें

जब अपनो से ही लड़ना है
कैसी ‘जीतें’ कैसी ‘हारें’

दीवारें बनती हैं इक दिन
मन के भीतर पड़ी दरारें

कर्ण दधीचि नहीं इस युग में
किसके आगे हाथ पसारें

सबसे श्रेष्ठ यही है पूजा
सिर्फ प्यार का मंत्र उचारें

जो आसन के योग्य नहीं हैं
हर आसन से उन्हें उतारें

एक झलक दिखला जा कान्हा
रो रो कर गोपियाँ पुकारें।


Image : In Top Capu
Image Source : WikiArt
Artist : Anders Zorn
Image in Public Domain