रूप कंचन तपाकर निकाला हुआ

रूप कंचन तपाकर निकाला हुआ

रूप कंचन तपाकर निकाला हुआ
जिस्म ऐसा कि साँचे में ढाला हुआ

चाँद निकला तो रौशन हुआ यह जहाँ
तुमको देखा तो मन में उजाला हुआ

यूँ झटककर जो जुल्फों को बिखरा दिया
यक-ब-यक सारा आकाश काला हुआ

इंद्रधनु, फूल, खुशबू, कुहुक, कहकशाँ
है तुम्हारा ही हर जाल डाला हुआ

ये नजर, ये हँसी, ये हया, ये अदा
तेरा अंदाज सबसे निराला हुआ।


Image : Lady with Roses
Image Source : WikiArt
Artist : Nikolay Bogdanov Belsky
Image in Public Domain

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