सच लिखने का फर्ज निभाया उसने भी

सच लिखने का फर्ज निभाया उसने भी

सच लिखने का फर्ज निभाया उसने भी
मुझ जैसे ही हाथ कटाया उसने भी

जब तक था कांधे पर कोई मोल न था
काट के सर अनमोल बनाया उसने भी

जिस्म के हिस्से बुनियादों में झोंक दिए
सारे घर का बोझ उठाया उसने भी

दीवारों के जख्म देखकर कुछ न कहा
आखिर अपना जख्म दिखाया उसने भी

धूप छाँव के सफर में कुछ दिन साथ रखा
मार दिया फिर खुद का साया उसने भी

आवारा हैं यादें जब ये जान लिया
कुछ दिन अपने साथ घुमाया उसने भी

कुछ दिन तो बेचैन रहा था मैं भी मगर
मुझे छोड़ कर चैन न पाया उसने भी।


Image : The Hunchback
Image Source : WikiArt
Artist : Alexej von Jawlensky
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