सच्चाइयों का साथ निभाने से डर गए

सच्चाइयों का साथ निभाने से डर गए

सच्चाइयों का साथ निभाने से डर गए
मरने से पहले लोग कई बार मर गए

थे जिंदगी के साथ मेरी हर कदम पे जो
नजरें तलाशती हैं उन्हें, वो किधर गए

हम भी हवस के दश्त में फिरते तमाम उम्र
अहसान है ये दर्द का कुछ कुछ सँवर गए

शोहरत के आसमाँ पे जो बैठे थे सब के सब
किरदार ऐसे थे कि नजर से उतर गए

फिर आज कागजों में मिला उसका एक खत…
फिर जख्म चाहतों के पुराने उभर गए

इस बार भी उम्मीद में बैठी थीं बस्तियाँ
इस बार भी सभी के सभी स्वप्न मर गए

तू तो दिलों में सबके ही मौजूद था मगर
नादां तेरी तलाश में किस किस के दर गए

कुछ देर को था मुल्क ये तकरीरें तालियाँ
सब फिक्रमंद चैन से फिर अपने घर गए

पानी हवा और आग के थे कर्जदार हम
आई जो मौत कर्ज सभी के उतर गए।


Image: Ворота Ала-уд-Дин
Image Source: Wikimedia Commons
Artist: Vasily Vereshchagin
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