समाहित कर ले

समाहित कर ले

समाहित कर ले तू इनमें अगर किरदार का जादू
तो फिर सर चढ़ के बोलेगा तेरे अशआर का जादू

कभी सोचा नहीं था इस तरह नींदें उड़ाएगा
हकीकत का मेरे ख्वाबों से हर इकरार का जादू

मैं तेरे ध्यान के फूलों को अपने दिल में रखता हूँ
मेरी हस्ती में शामिल है तेरी महकार का जादू

उजड़ते गाँव के जैसी है बेहिस जहनियत सबकी
न अब है वार का जादू न वो त्योहार का जादू

अभी हर बात में उनकी तू हाँ में हाँ मिलाता है
परख के देख तू अपने किसी इनकार का जादू

मैं दुनिया में कई रंगों, कई बानों में फिरता हूँ
मुझे कब रोक पाया है किसी इसरार का जादू

किसानों पर ये लाठी भाँज कर फसलें उगाएगी
अभी देखा नहीं तुमने मेरी सरकार का जादू

किसी की भी नहीं सुनती वो अपनी पर जब आती है
हुकूमत पर भी चलता है मगर जरदार का जादू

वो घर को बेच कर अपने खरीदारी पे निकले हैं
चला है जिन पे तेरे पुरकशिश बाजार का जादू

सवाल अक्सर करेगी यह तेरी बेचेहरगी तुझसे
ये तेरे सर का है या है तेरी दस्तार का जादू।


Image : Arbiter of Peace
Image Source : WikiArt
Artist : Nikolai Kuznetsov
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