समय का रावणी अब आचरण है

समय का रावणी अब आचरण है

समय का रावणी अब आचरण है
जहाँ देखो वहाँ सीता-हरण है

क्रिया अब सर्वनामों की शरण है
हुआ संज्ञा का जैसे अपहरण है

सियासत की चलो पर्तें उधेड़ें
यहाँ तो आवरण पर आवरण है

अमीरों से गरीबों की तरफ ही
समस्या का सतत हस्तांतरण है

मुहब्बत ही मुहब्बत हर तरफ हो
नए इनसान का तब अवतरण है

उसी का फैसला मैं मानता हूँ
मेरा मुंसिफ मेरा अन्तःकरण है

अदब का रास्ता इनसानियत का
यहाँ सच्चाई संकट का वरण है।


Image : Monsieur Fornaise
Image Source : WikiArt
Artist : Pierre-Auguste Renoir
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हरेराम ‘समीप’ द्वारा भी