सँभलकर राह में चलना वही पत्थर सिखाता है

सँभलकर राह में चलना वही पत्थर सिखाता है

सँभलकर राह में चलना वही पत्थर सिखाता है
हमारे पाँव के आगे जो ठोकर बनके आता है

नहीं दीवार के जख्मों का कुछ अहसास इंसाँ को
जो कीलें गाड़ने के बाद तस्वीरें लगाता है

मैं जैसे वाचनालय में रखा अखबार हूँ कोई
जो पढ़ता है वो बेतरतीब अक्सर छोड़ जाता है

ये सच है सीढ़ियाँ शोहरत की चढ़ जाने के बाद इंसाँ
सहारा देने वाले ही को अक्सर भूल जाता है

न ऐसे शख्स को चौखट से खाली हाथ लौटाओ
जो इक रोटी के बदले सौ दुआएँ दे के जाता है

बहुत मुश्किल है ‘नाज’ अहसान का बदला चुका पाना
दीये को खुद धुआँ उसका अकेला छोड़ जाता है


Image : The Parquet Planers (The Floor Scrapers)
Image Source : WikiArt
Artist : Gustave Caillebotte
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