शाम का अक्स दरो बाम पे

शाम का अक्स दरो बाम पे

शाम का अक्स दरो बाम पे उतरा होगा
हुस्न चेहरे का तेरा और भी निखरा होगा

वो मेरा साथ निभाएगा भला यूँ कब तक
जिसकी आँखों में किसी और का चेहरा होगा

देखकर सूखे दरख़्तों को मुझे लगता है
इनका दुःख-दर्द अभी और भी गहरा होगा

होंठ से प्यार के जो दिल पे न बरसे बादल
दिल वही धूप में ठहरा हुआ सहरा होगा

ज़िंदगी उसकी सुकूँ पाये तो कैसे पाये
जिसका हर लम्हा बियाबान में गुज़रा होगा।


Image: Poplar Trees
Image Source: WikiArt
Artist : Vincent van Gogh
Image in Public Domain