जागती आँखों में कुछ सपने
- 1 August, 2020
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- 1 August, 2020
जागती आँखों में कुछ सपने
जागती आँखों में कुछ सपने लिए आ जाइए
हम जलाएँगे उम्मीदों के दीये, आ जाइए
सीख लीजे मुश्किलों में खिलखिलाने का हुनर
लब पे गम की दास्ताँ मत लाइए, आ जाइए
गड्डियों में ताश की हर दर्दो-गम को फेंटकर
ढूँढ़ लेंगे सर्किलों के जाविये, आ जाइए
मॉनसूनी इश्क के बादल लगे हैं झूमने
ताल पर हर बूँद की लहराइए, आ जाइए
यार बदले आपने, हमने भी बदली कार थी
इस पहेली को कभी सुलझाइए, आ जाइए
दास्ताँ लंबी है, पन्ने कम हैं, उस पर शर्त ये
छोड़ने दोनों तरफ हैं हाशिए, आ जाइए
आपको दूँ मशविरा, ये हक नहीं मुझको मगर
कत्ल कर रिश्तों का मत इतराइए, आ जाइए
अब मुकम्मल हो ही जाएगी अधूरी ये गजल
मिल गए हैं खूबसूरत काफिए, आ जाइए
पत्थरों पर खिल उठेंगे प्रेम के कितने सुमन
बस जरा ‘परिमल’ की गजलें गाइए, आ जाइए।
Image : Madame Claude Anet
Image Source : WikiArt
Artist :Pierre Bonnard
Image in Public Domain