गजब के फैसले होने लगे

गजब के फैसले होने लगे

गजब के फैसले होने लगे
भरोसे टूटकर रोने लगे

मिला जब कुछ नहीं खलिहान से
जमीं पर आसमां बोने लगे

पसीने की कमाई क्या कहें
नजर के सामने खोने लगे

किसी ने शील को सीता कहा
जमाना दूध से धेले लगे

कभी माँटी को जो समझा नहीं
सदन में बैठकर सोने लगे।


Image : A Son of the Soil, Riviera di Levante
Image Source : WikiArt
Artist : Elizabeth Thompson
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