सही गलत पर अड़ा हुआ है

सही गलत पर अड़ा हुआ है

सही गलत पर अड़ा हुआ है
जो रातभर में बड़ा हुआ है

अभाव में जब स्वभाव बदला
उदार दिल भी कड़ा हुआ है

वो दौड़ने का सिखाता नुसखा
अभी-अभी जो खड़ा हुआ है

धरा बताती उखाड़ लेना
जमीं में बखरा गड़ा हुआ है

धकेलने की जिसे थी आदत
वो दर-किनारे पड़ा हुआ है

अमीर थोड़ा हुआ मुलायम
गरीब जब से कड़ा हुआ है।


Image : Moroccan Market
Image Source : WikiArt
Artist : Theo van Rysselberghe
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