सुख-दुख दोनों ही आते हैं

सुख-दुख दोनों ही आते हैं

सुख-दुख दोनों ही आते हैं, एक साथ त्योहार में
मिल जाएँगे, डरे हुए हामिद, मेले-बाजार में

गाँव-शहर में मौत टहलती, मातम है, सन्नाटा है
फिर भी खुशियाँ चहक रही हैं, टीवी पर, अखबार में

नहीं मयस्सर इज्जत से आखिरी विदाई भी अब तो
ढूँढ़ लिए शैतानों ने, अवसर इस हाहाकार में

भूख भेजती शहर रोज ही लेकिन मिलता काम नहीं
लौट रहे मज़दूर उदासे, वापस घर-परिवार में

प्रेम-कहानी कहने-सुनने में अच्छी लगती लेकिन
एक जनम में कई बार, मरना पड़ता है प्यार में


Image : Aboriginal family group
Image Source : WikiArt
Artist : Julian Ashton
Image in Public Domain

वशिष्ठ अनूप द्वारा भी