तनहा मंजर हैं तो क्या
- 1 April, 2022
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on tumblr
Share on linkedin
Share on whatsapp
https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-gazal-about-tanaha-manjar-hain-to-kya-by-dhruv-gupta-nayi-dhara/
- 1 April, 2022
तनहा मंजर हैं तो क्या
तन्हा मंजर हैं तो क्या
सात समंदर हैं तो क्या
जरा सिकुड़ के सो लेंगे
छोटी चादर है तो क्या
चाँद सुकूँ तो देता है
जद से बाहर हैं तो क्या
हम भी शीशे के न हुए
हर सू पत्थर हैं तो क्या
हम सा दिल लेकर आओ
जिस्म बराबर है तो क्या
बिजली सब पर गिरती है
मेरा ही घर है तो क्या
तू भी सीने से लग जा
हाथ में खंजर है तो क्या
डगर डगर भटकाती है
दिल के अंदर है तो क्या।
Image : Portrait of a Peasant
Image Source : WikiArt
Artist : Ipolit Strambu
Image in Public Domain