तनहा मंजर हैं तो क्या

तनहा मंजर हैं तो क्या

तन्हा मंजर हैं तो क्या
सात समंदर हैं तो क्या

जरा सिकुड़ के सो लेंगे
छोटी चादर है तो क्या

चाँद सुकूँ तो देता है
जद से बाहर हैं तो क्या

हम भी शीशे के न हुए
हर सू पत्थर हैं तो क्या

हम सा दिल लेकर आओ
जिस्म बराबर है तो क्या

बिजली सब पर गिरती है
मेरा ही घर है तो क्या

तू भी सीने से लग जा
हाथ में खंजर है तो क्या

डगर डगर भटकाती है
दिल के अंदर है तो क्या।


Image : Portrait of a Peasant
Image Source : WikiArt
Artist : Ipolit Strambu
Image in Public Domain

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