वो जिसने

वो जिसने

वो जिसने रात गले से मुझे लगाया था
वो तुम नहीं थे तो क्या वो तुम्हारा साया था

पतंग उसने मेरी छत पे ला के उलझा दी
उसी में प्यार का पहला पयाम आया था

तुम्हारे दर्द को हम तुमसे बढ़ के जानते हैं
किसी ज़माने में हमने भी दिल लगाया था

मेरी मज़ाल ही क्या थी कि उसको छू पाता
ग़ज़ल ने ख़ुद ही गले से मुझे लगाया था

मैं जिसकी याद में रो रो के हो गया खारा
उसी नदी ने समंदर मुझे बनाया था

न कोई ग़म था न कोई ख़ुशी थी उस लम्हा
तो मेरी आँख में पानी कहाँ से आया था

उसी में मेरी वो पहली ग़ज़ल लिखी हुई थी
पढ़े बिना ही जो ख़त आपने जलाया था

किसी भी एक को चुनना था उम्रभर के लिए
मेरे लबों पे तुम्हारा ही नाम आया था

मैं अपने आप में खोया हुआ था बरसों से
तुम्हारा प्यार मुझे रौशनी में लाया था।


Image : Under the Lilacs
Image Source : WikiArt
Artist : Childe Hassam
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अशोक मिज़ाज द्वारा भी