आज दिल फिर बहकने लगा

आज दिल फिर बहकने लगा

आज दिल फिर बहकने लगा
प्यार का गुल महकने लगा

चाँद से ख्वाब पाकर मगर
आदमी है भटकने लगा

जिंदगी तिश्नगी, भूख है
यूँ समुंदर दहकने लगा

हमसफर बन अजब राहबर
तीरगी में सहकने लगा

ताज का खेल जारी यहाँ
बाज खुल कर धधकने लगा

किंतु इंकलाब हमदम नया
बन सहर है विहँसने लगा।


Image : Lovers in a wood
Image Source : WikiArt
Artist : John Atkinson Grimshaw
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