सच मिटाने से कभी मिटता नहीं

सच मिटाने से कभी मिटता नहीं

सच मिटाने से कभी मिटता नहीं
झूठ ज्यादा दिन तलक टिकता नहीं

आँख में थोड़ी हया रक्खा करो
तेरे घर भी बेटी है दिखता नहीं

जो खुदा को भूल बैठे उसका सिर
फिर कभी दरगाह पर झुकता नहीं

गर दवाई थोड़ी सस्ती होती तो
बच जाती जाँ, आदमी मरता नहीं

वक्त कैसा आ गया है देखिए
लाश को काँधा भी अब मिलता नहीं

रंग गिरगिट जैसा बदले आदमी
भूल जाता याद कुछ रखता नहीं

तौलकर बातों को रक्खा कीजिए
‘अंजु’ से यूँ बात कोई करता नहीं।


Image : The Squall
Image Source : WikiArt
Artist : Charles Sprague Pearce
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