उधर बुलंदी पे उड़ता हुआ धुआँ

उधर बुलंदी पे उड़ता हुआ धुआँ

उधर बुलंदी पे उड़ता हुआ धुआँ देखा
इधर गरीब का जलता हुआ मकाँ देखा

किसी अमीर ने दिल तोड़ दिया था मेरा
मुद्दतों मैंने उसी चोट का निशाँ देखा

वहम ये मिट गया मेरा कि सर पे छत ही नहीं
नजर उठा के ज्यों ही मैंने आसमाँ देखा

बहुत तलाश किया हर जगह ढूँढ़ा उसको
मुझको ये याद नहीं कब उसे कहाँ देखा

अजीब हादसे भी जिंदगी में होते हैं
अपने दुश्मन में मैंने अपना मेहरबाँ देखा

ऐसे हालात पे रोना भी खूब आया मुझे
जब फटेहाल कभी अपना गिरेबाँ देखा

हजार मुश्किलें हों फिर भी मुस्कराना है
हसीन फूल को काँटों के दरमियाँ देखा।


Image : Charlie Mitchell
Image Source : WikiArt
Artist : Henry Scott Tuke
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डी.एम. मिश्र द्वारा भी