वो ख्यालों में उतर जाता है

वो ख्यालों में उतर जाता है

वो ख्यालों में उतर जाता है
अब्र आँखों में ठहर जाता है

रब के ही दर पे बशर जाता है
दर्द जब हद से गुजर जाता है

रात के बाद ही दिन आएगा
वक्त थोड़ी न ठहर जाता है

कैसी माटी से बना है दिल यह
चोट लगते ही बिखर जाता है

दोस्त सच्चा मिले तो ये जीवन
उसकी सोहबत में सँवर जाता है

तेरी गलियों में परिंदा मन का
रोकूँ मैं लाख मगर जाता है।


Image : The wardrobe
Image Source : WikiArt
Artist : Walter Sickert
Image in Public Domain

कविता विकास द्वारा भी