है जो परिवर्तन
- 1 October, 2022
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- 1 October, 2022
है जो परिवर्तन
है जो परिवर्तन नियम तो सब बदलना चाहिए था
फिर तो सूरज को भी पश्चिम से निकलना चाहिए था
यूँ तो बदला जा चुका है जाने क्या क्या लेकिन अब तक
वो नहीं बदला गया है जो बदलना चाहिए था
ज़ात, महँगाई, पढ़ाई, मुफ़लिसी, बेरोज़गारी
इन समस्याओं का भी कुछ हल निकलना चाहिए था
अब वहाँ रहवासियों के घर बनाए जा रहे हैं
जिस जगह से ढेर सा गेहूँ निकलना चाहिए था
ठोकरें तो जाने अनजाने में लगती हैं सभी को
इक न इक दिन तो मगर तुमको सम्हलना चाहिए था
दुश्मनों के साथ मिलकर अब नमक छिड़केंगे तुझ पर
वो जिन्हें मरहम तेरे घावों पे मलना चाहिए था
जब तुम्हारे सामने ही कर रहा था जुर्म ज़ालिम
ख़ून ऐसे में तुम्हारा भी उबलना चाहिए था
तुमने जिसको चुन रखा है, उसका दिल पत्थर का निकला
मोम का होता तो फिर उसको पिघलना चाहिए था
आज तक तसवीर तेरी मेरे दिल में ज्यूँ की त्यूँ है
इस विरह की आग में उसको भी जलना चाहिए था
हम तो कुछ सबसे अलग करने की ज़िद में आज भी हैं
क्या हमें भी सबके पीछे पीछे चलना चाहिए था
मैंने काग़ज़ पर गड़ा कर पेन से लिक्खा था जो कुछ
वो तुम्हारे दिल के अंदर भी उछलना चाहिए था।
Image : The Old Gardener
Image Source : WikiArt
Artist : Paul Cezanne
Image in Public Domain