मैंं जब-तब सोचकर डरता हूँ
- 1 December, 2020
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- 1 December, 2020
मैंं जब-तब सोचकर डरता हूँ
मैं जब-तब सोचकर डरता हूँ कुछ ऐसा न कर डाले
बड़ा होना मेरा कुछ को कहीं छोटा न कर डाले
बना रहता है संशय देखकर मजबूरियाँ उसकी
जहाँ तनकर खड़ा होना है, वह सिज्दा न कर डाले
ये दुनिया सारी-की-सारी स्वयं हो जाय बेपर्दा
वो अपने आप से खुद पर अगर पर्दा न कर डाले
वो बच्चे ही नहीं कुछ सोचते हैं उसके बारे में
पिता तो सोचता है वह अभी क्या-क्या न कर डाले
बचाने के लिए शर्मिंदगी से पूरी दुनिया को
मैं डरता हूँ कहीं वह खुद की ही हत्या न कर डाले
उदासी के समंदर में डुबो दे उसका भारीपन
अगर रो-रो के थोड़ा खुद को वह हल्का न कर डाले
गरीबी खत्म कर डाले जरा-सी देर में खाना
करे क्या माँ, अगर उसको तनिक तीखा न कर डाले
कमा कर रख लिया है खूब सारा तुमने भी पैसा
तुम्हारा भी शिकार इक दिन यही पैसा न कर डाले
वो जिस-तिस के अहं से रोज टकराता फिरे खुद ही
अहं के कद को वह इतना भी तो ऊँचा न कर डाले
सितारे तोड़ कर ला दे बहा दे दूध की नदियाँ
ये मत पूछो कि क्या-क्या लोगों का जज्बा न कर डाले!
Image : Contemplation
Image Source : WikiArt
Artist : Telemaco Signorini
Image in Public Domain