जंग फिर से वही ठनी तो नहीं

जंग फिर से वही ठनी तो नहीं

बात बातों से भी बनी तो नहीं
जंग फिर से वही ठनी तो नहीं

चाय की चुस्कियाँ चलीं कितनी
पर हुई कम भी दुश्मनी तो नहीं

बात में भी तनाव इतना था
मेज भी रह गई तनी तो नहीं

छिड़ गई जंग बादलों में भी
खून में बिजलियाँ सनी तो नहीं

मातमी साल की दिवाली थी
ईद भी आ गई, मनी तो नहीं

आज फिर रात को है सन्नाटा
कल सुबह कोई सनसनी तो नहीं

राख पे घर बना रहे फिर से
देख लो राख गुनगुनी तो नहीं?


Image : Fight With Cudgels
Image Source : WikiArt
Artist : Francisco Goya
Image in Public Domain

दिलीप दर्श द्वारा भी