पतझरों का मौसम है

पतझरों का मौसम है

पतझरों का मौसम है पत्तियाँ नहीं मिलतीं
गुल नजर नहीं आते तितलियाँ नहीं मिलती

बस्तियों में दहशत है लोग हैं डरे सहमे
अब खुली हुईं घर की खिड़कियाँ नहीं मिलतीं

इस नए जमाने का क्या गजब करिश्मा है
डाकिये नहीं आते चिट्ठियाँ नहीं मिलती

आज जो भी बैठे हैं उन पे तंज मत करना
एड़ियाँ बिना रगड़े कुर्सियाँ नहीं मिलतीं

मंजिलों की ऊँचाई तय करें भला कैसे
पाँव को भरोसे की सीढ़ियाँ नहीं मिलतीं।


Image : Old man with a pipe
Image Source : WikiArt
Artist : Vladimir Makovsky
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