यहीं पास कोई नदी गा रही है

यहीं पास कोई नदी गा रही है

यहीं पास कोई नदी गा रही है
मुहब्बत की ठंडी हवा आ रही है

ग़ज़ब की कशिश है सदाओं में उसकी
मुझे दूर मुझ से लिए जा रही है

मैं देखूँ कि उसको सुनूँ शब ढले तक
सरापा ग़ज़ल ख़ुद ग़ज़ल गा रही है

सितारों की महफ़िल उसी से है रौशन
वही नूर पर नूर बरसा रही है

मैं ख़ुद को सँभालूँ कि बेताब दिल को
किसी ने कहा ज़िंदगी जा रही है

मुहब्बत में कैसी सियासत हुई ये
कहीं की थी डोली कहीं जा रही है।


Image : River Landscape
Image Source : WikiArt
Artist : Gustave Courbet
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प्रेम किरण द्वारा भी