दिखाई देता है

दिखाई देता है

अजीब शाम का मंजर दिखाई देता है
जब आफताब जमीं पर दिखाई देता है

मुझे तो नीलगगन के विराट आँगन में
हसीन चाँद पे इक घर दिखाई देता है

फलक का बोझ मुकद्दर में जिसके लिक्खा हो
उसे तो चाँद भी पत्थर दिखाई देता है

सफर में जब कभी छलते हैं मुझको चौराहे
तभी वहीं पे वो रहबर दिखाई देता है

जिसे तलाश किया आपने ज़माने में
मुझे वो ख़ुद ही के अंदर दिखाई देता है


Image: Portrait of painter Viktor Mikhailovich Vasnetsov. Study for the picture Sadko in the Underwater Kingdom.
Image Source: WikiArt
Artist: Ilya Repin
Image in Public Domain

आराधना प्रसाद द्वारा भी