ख्वाब का बाजार

ख्वाब का बाजार

ख्वाब का बाजार देते हैं
कर उसे अंगार देते हैं

आदमी जलता उसी में यूँ
ताज कर गुलनार देते हैं

है धरम उनका मसीहाई
जीस्त कर अखबार देते हैं

जाति मजहब कर नया फंडा
जुल्म की सरकार देते हैं
है मुहब्बत अब इबादत सी
हम उसे एतबार देते हैं

हर गजल इंक्लाब है लेकिन
प्यार का उजियार देते हैं

इसजमीं पे जाँ कुर्बां कर
हम नया संसार देते हैं

हाथ में लेते तिरंगा ही
छोड़ हम घर-बार देते हैं


Image: Ragamala illustration for Raga Sri
mage Source: Wikimedia Commons
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