धरती से अंबर तक

धरती से अंबर तक

धरती से अंबर तक ये हालात नहीं
मौसम पर कब्जा कर ले औकात नहीं

मुर्दा बनकर ज़िंदा तो रह लेते हम
ज़िंदा दिखना सबके वश की बात नहीं

हूनर, हिम्मत, मेहनत, खून-पसीने की
मजदूरी लेते हैं हम, खैरात नहीं

ग़ज़लों की थाली में ताली से बढ़कर
शायर को भाती कोई सौगात नहीं

आँखों से ज्यादा क्या मेंघ बरसते हैं
‘प्रोग्रामर’ ने देखी वो बरसात नहीं।


Image : Portrait of a Bearded Man
Image Source : WikiArt
Artist : Vasily Vereshchagin
Image in Public Domain