लुभाने लगा है सगा धीरे धीरे

लुभाने लगा है सगा धीरे धीरे

लुभाने लगा है सगा धीरे धीरे
खुमारी से लगता जगा धीरे धीरे

नयन वाण मासूमियत से चला तो
असर दिल पे होने लगा धीरे धीरे

यकीनन सबेरा जवाँ हो रहा जब
मुहब्बत का सूरज उगा धीरे धीरे

पिलाया जिसे दूध छाती का वो ही
दिया घर से बाहर भगा धीरे धीरे

विश्वास का घर बने भी तो कैसे
लहू दे रहा जब दगा धीरे धीरे

गिराती है दुनिया उसे ही नज़र से
भलाई बता जो ठगा धीरे धीरे।


Image : Portrait of lawyer Oskar Osipovich Grusenberg
Image Source : WikiArt
Artist : Ilya Repin
Image in Public Domain