कह रही है

कह रही है

न अब पानी को पानी कह रही है
नदी अपनी कहानी कह रही है

उदासी को समेटे बूढ़ी अम्मा
ये दुनिया आनी जानी कह रही है

यहाँ तक आ गया था यार पानी
ये पानी की निशानी कह रही है

फना इक रोज हो जाएगी दुनिया
कहानी में ये नानी, कह रही है

भुला सकते नहीं ताउम्र मुझको
ये इक चिट्ठी पुरानी कह रही है

समुंदर मुंतजिर बाँहें पसारे
ये दरिया की रवानी कह रही है

बहुत सपने बुने इन रस्सियों में
ये खटिया खानदानी, कह रही है।


Image: Moonlight Night on the Dnieper
Image Source: WikiArt
Artist: Arkhip Kuindzhi
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आराधना प्रसाद द्वारा भी