सीमाओं में
- 1 August, 2021
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-gazal-on-seemaon-mein-by-ashok-anjum/
- 1 August, 2021
सीमाओं में
सीमाओं में रह कर चल
अच्छा पहले अंदर चल
सब तन-तनकर चलने लगें
इतना भी मत झुककर चल
छूना है आकाश अगर
बाँध बोरिया-बिस्तर चल
लेना है मंजिल का मजा
कुछ तो ठोकर खाकर चल
वह कहती पिछवाड़े आ
मैं कहता हूँ छत पर चल
ख़ुद को ख़ुद का पता न हो
मत यूँ कद से ऊपर चल
ठहरे लोग पड़ावों पर
रुक मत मेरे शायर चल
दुनिया काशी को दौड़े
मैं कहता हूँ मगहर चल!
Image: Wanderer
Image Source: WikiArt
Artist: Ilya Repin
Image in Public Domain