हर तरफ़ इस जंग का अंजाम

हर तरफ़ इस जंग का अंजाम

हर तरफ़ इस जंग का अंजाम वो देखा कि बस
ज़ेहन चाहे जो कहे दिल से यही निकला कि बस

मसअलों का हल कहीं भी जंग से मुमकिन नहीं
जंग से फिर मसअला ऐसा खड़ा होगा कि बस

इक हसीं दुनिया बसा कर उसने हमको सौंप दी
इस मुहब्बत का सिला उसको मिला ऐसा कि बस

हर मुहब्बत का बुरा अंजाम होता है मगर
हर मुहब्बत करने वालों को नशा ऐसा कि बस

यह मुहब्बत हर मरज़ की इक दवा है दोस्तो!
ये ख़ुदा ने दी है सबको, वो असर होगा कि बस

हर मुसीबत में वही इक याद आता है मुझे
हर ख़ुशी में हो गया मैं ख़ुदग़रज़ इतना कि बस

अपनी मर्ज़ी की किरन मैं ज़िंदगी कब जी सका
उसने मायाजाल में कुछ इस तरह फाँसा कि बस।


Image : After failure
Image Source : WikiArt
Artist : Vasily Vereshchagin
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प्रेम किरण द्वारा भी